
शीर्षक- कामवाली का बेटा
मीना का एक छोटा बेटा रवि था, मीना बहुत गरीब थी,रवि के छोटे पर ही पिता का साया उठ गया , दरहसल एक दुर्घटना में रवि के पिता जी की मृत्यु हो गयी , फिर तब से बच्चे का नपुरा लालन -पालन मीनाऊपर आगया। मीना दिन में एक घर में घर का काम करने जाती थी, उससे जो पैसे मिलते थे, उस से अपना और रवि का खर्च चलती थी , धीरे-२ खर्चा बढ़ने लगा ,तब मीना परेशान हो गयी की मानो अभी रवि छोटा है , तो ठीक है, इसके पापा के न होने पर अगर ये सेसे ही रहेगा तो मेरी स्थित तो पहले से ख़राब है, इसकी तो और ख़राब हो जाएगी , और कल के अगर मैं भी न रही तो इसको जिंदगी जीना कठिन हो जायेगा ,मुझे कुछ सोचना पड़ेगा ,नहीं तो मेरे घर की स्थित खराब हो जाएगी ,और हमारे पास ज्यादा पैसे भी नहीं है, न ही कही घर है, यही एक झोपडी है, ऐसी में हम लोगो का जीवन कटता है, फिर कुछ वर्षो में मीना का बेटा बड़ा हो गया , रवि बहुत अच्छा बच्चा था, अपनी माँ का बहुत ध्यान रखता था।
कुछ दिन बाद रवि को मीना ने अपने पास बुलाकर समझया की तुम बड़े हो गए हो, तुम को अब स्कूल जाना पड़ेगा, तब रवि ने कहा की माँ हम तो बहुत गरीब है, स्कूल जाने में बहुत पैसा खर्च होगा ,तब पैसा कहा से आएगा , क्यों न हम कोई काम कर ले, स्कूल न जाये, तब माँ ने उसको डाला ,की मैं तो एक कामवाली हु, अगर तू भी नहीं कुछ कर पायेगा अपनी जिंदगी में ऐसे ही रहेगा, तेरा जिंदगी कैसे कटेगा, तब रवि ने ठीक है माँ हम स्कूल जायेगे , फिर अगले दिन माँ ने रवि को स्कूल छोड़ने गयी, जब उसे छोड़ कर आ रही थी, और रवि गेट के अंदर गया तरो वह बहुत भाऊक हो गयी ,उसके आँख से आशु आ गए ,फिर उसने कुछ और काम सोचा , पहले वह एक घर में काम वाली का काम करती थी..
अब उसने अब ३ घर में कामवाली का काम करने लगी , जब रवि स्कूल से घर पर आया तो उसने देखा की आज माँ नहीं आयी काफी देर हो गया ,वह बैठ कर यही सींचता रहा की माँ कहा रुक गयी ,फिर शाम को माँ आ गयी, फिर रवि ने माँ को गले लगा लिया , फिर माँ से बोलै की माँ आज देर क्यों कर दिया, फिर माँ में कहा की तू कह रहा था, की स्कूल जाने में पैसे की ज्यादा जरुरत पड़ेगी तो इसलिए आज हम २ घर में और काम करने लगे ऐसी वजह से बेटा देर गयी।
फिर माँ ने कहा की बता तेरा आज का दिन कैसे रहा तो रवि ने कहा की माँ बहुत अच्छा रहा ,आज का दिन , फिर रवि ने कहा क्यों न हम भी कुछ और काम करे जिससे आप का खर्चा काम हो , तब इस प्रकार की बात सुनकर माँ हसने लगी फिर रवि ने सोचा क्या करे, की जिससे काम भी ही जाये, और हम स्कूल भी चले जाए, तब रवि ने पेपर बाटना शुरू किया सुबह उठ कर पहले वह सायकिल से पेपर बाट ता था, उसके बाद जब पेपर बात कर आता तो वह खा पीकर स्कूल जाता था, यह उसका अब रोज का क्रिया -कलाप था, एक दिन अचानक उसके झोले में ज्यादा पेपर आ गए, जब हर जगह पेपर दिया तो एक पेपर बाद गया , फ़ी उसने ले जाकर पेपर जिसके यहाँ से बाट ता था,
उस सेठ जी को दिया ,फिर सेठ जी ने कहा की ये पेपर अब तुम ले जाओ, पेपर लेकर रवि घर आया , फिर उस पेपर को वह पढ़ ही रहा था, की उसमे एक पहेली थी, जिसको हल कर के उसने पेपर दफ्तर में दे दिया ,फिर वह वह से अपने स्कूल चला गया।
फिर वह रोज की तरह स्कूल जा रहा था, की उसने सोचा की लगता है हमारी पहेली का उत्तर कही गलत तो नहीं था, लेकिन उसने सोचा उत्तर जो हमने लिखा हुआ था, वह तो बिलकुल सही था, फिर कुछ दिन बाद क्लास में सरे बाहे बैठे थे, तभी टीचर के साथ एक आफिसर आया ,फिर उसने कहा की रवि किसका नाम है, फिर रवि ने कहा की सर मेरा नाम रवि है, दिर आफिसर ने कहा की बेटा तुम ने उस पहेली का उत्तर एकदम सही दिया और सब का गलत था, इसलिए अब तुम्हारे बढ़ने का सारा खर्चा न्यूज़ पेपर कंपनी देगी, फिर रवि यह सुनकर बहुत खुश हुआ।
फिर जैसे ही रवि घर आया , तो उसने सोचा माँ पता नहीं कब तक आएगी, क्यों न घर का सारा काम मैं ही खुद कर दू, माँ को घर का काम नहीं करना पड़ेगा, उनको तोडा आराम मिल जायेगा , फिर माँ जैसे आयी रवि ने माँ को पैर छुआ , और बोलै की माँ मुझे स्कोलर शिप मिली है, फिर माँ ने खा की ये क्या है बेटा तो रवि ने खा की मेरे पुरे पढ़ाई का खर्चा न्यूज़ पेपर कंपनी देगी। माँ बहुत खुश हुई ,इस कहानी का यह अभिप्राय है की हमे किसी का अपने पूरी मेहनत से करना चाइये ।
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