
निरहुआ हिंदुस्तानी मूवी स्टोरी इन हिंदी
निरहुआ हिंदुस्तानी मूवी 2014 में रिलीज हुई थी जो एक भोजपुरी भाषा की फिल्म है इस मूवी में एक्शन रोमांस और कॉमेडी तीनों प्रकार के चरित्र दिखाया गए हैं इस फिल्म के लेखक संतोष मिश्रा जी हैं और इस फिल्म का निर्देशन सतीश चंद्र जी ने किया है इस फिल्म के मुख्य स्टार कास्ट दिनेश लाल निरहुआ और आम्रपाली दुबे जी हैं .
यह कहानी एक गांव में रहने वाले निरहुआ (दिनेश लाल निरहुआ)नामक व्यक्ति की है जो कि यह सोचता है कि उसकी भी एक दिन ड्रीमगर्ल्स होगी ,निरहुआ के पिताजी उसकी शादी के लिए गांव में कई लड़कियों का दिखावा करते हैं लेकिन निरहुआ को कोई लड़की पसंद नहीं आती इस बात को लेकर उसके घर वाले उसकी शादी के लिए बहुत परेशान थे.
और 1 दिन निरहू यादव अपनी ड्रीम गर्ल को खोजने के लिए घर से भागकर मुंबई चल देते हैं और जब निरहु यादव मुंबई पहुंचते हैं तो वहां के रहन-सहन और बोली भाषा से परे होते हैं उनका पहनावा भी देहात के जैसा ही होता है मुंबई के लोग उन्हें देखते और हंसते थे.
फिर एक समय निरहू को अचानक से एक लड़की आवाज देकर अपनी और बुलाती है उसे देखकर निरहू को विश्वास नहीं होता है कि वह उसे ही बुला रही है और निरहू उसके पास जाते हैं वह लड़की निरहू के वेशभूषा को देख कर उसे जाहिल और गंवार कहती है और चली जाती और निरहुआ मुंबई शहर में रहने लगता है 1 दिन व रात में सोया हुआ होता है और निरहू के साथ कई लोग भी सोए हुए होते हैं निरहू के पास में सोए हुए एक आदमी को किसी ने पत्थर से मार देता है इसी के कारण निरहू फंस जाता है और उसे पुलिस पकड़ कर ले जाती है यह बात उसके घर वालों को पता चलती है तो वह लोग परेशान हो जाते हैं और उसके घर वाले मुंबई पहुंच जाते हैं ,और वहां पर निरहू को मुंबई कोर्ट में हत्या करने के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई जाती है निरहू को फांसी देने से पहले उसकी अंतिम इच्छा पूछी जाती है तो वह अपनी अंतिम इच्छा बताता है कि वह मरने से पहले शादी करना चाहता है.
यह बात सोना( आम्रपाली दुबे) नाम की एक लड़की को पता चलती है, उसको शादी के लिए ऐसे ही लड़के की तलाश होती है क्योंकि उसके पिताजी ने यह शर्त रखी होती है कि वह जब तक शादी नहीं करेगी तब तक वाह अपने पिताजी की जायदाद का एक पैसा भी खर्च नहीं कर सकती पिछले वाह क्या सोचकर निरहू के शादी करना चाहती है कि उसे 9 दिन में तो फांसी हो जाएगी और उसके बाद जायदाद की मालकिन मैं बन जाऊंगी निरहू की सोना के साथ शादी हो जाती है
और निरहू को फांसी होने ही जा रही होती है की तब तक असली गुनहगार का पता चल जाता है और निरहू की फांसी को रोक दिया जाता है और उसे जेल से रिहा कर दिया जाता है और वह जेल से छूट कर सीधे सोना के घर जाता है सोना उसे जीवित देखकर आश्चर्यचकित रह जाती है और उसके साथ निरहु उसके घर में रहने लगता है सोना के बहुत कोशिश करने के बावजूद भी वह उसका पीछा नहीं छोड़ता है और एक दिन सोना अपने घर में एक बहुत बड़ी पार्टी रखती है और उस पार्टी में निरहू यादव को वह बहुत बुरा भला कह कर जलील करती है सबके सामने ताकि वह उसे छोड़ दें और वहां से चला जाए और वहां पर सोना निरहू से तलाक देने की बात करती है तो निरहू के उसके साथ एक सरत रखता है कि उसे अगर तलाक चाहिए तो वह उसके साथ उसकी बीवी वन कर उसके गांव चले और छह महीना वहां पर रहे ,और सोना उसकी सरत को मानकर उसके गांव चलने के लिए तैयार हो जाती है और उसके साथ गांव चली जाती है और वह गांव पहुंचकर मुंबई के रहन-सहन की तरह रहती है जिससे कि गांव वाले और उसके घर वाले उससे बहुत परेशान हो जाते हैं, लेकिन कुछ समय बाद धीरे-धीरे सोना को निरहू के घरवाले पसंद आने लगते हैं और धीरे-धीरे वह गांव के रीति रिवाज में रहना सीख लेती है और फिर धीरे-धीरे सोना को निरहू के घरवाले और निरहू से प्यार हो जाता है.
और फिर 1 दिन उस शर्त के मुताबिक और कहा कि आज पूरा 6 महीना हो गया है तुमने हम से पीछा छुड़ाने के लिए बहुत सारी तकलीफ उठाई तुमने हमारी हर एक शर्त का पालन किया है अब सरत निभाने की बारी हमारी है और निरहू ने उन तलाक के पेपर पर साइन कर दिए और सोना को दे दिए ,और सुना से कहता है कि अब तुम तैयार हो जाओ कल मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ आऊंगा और वह दूसरे दिन सोना को लेकर मुंबई के बस पर बिठा देता है और वह वापस घर चला आता है लेकिन घर आने के बाद वह देखता है कि सोना उसके घर पर ही है उसे विश्वास नहीं होता है कि वह जो देख रहा है वह सच है कि झूठ लेकिन वह सच होता है यह देखकर निरहू बहुत खुश हो जाता है और सोना को अपने गले लगा लेता है और दोनों एक दूसरे के साथ प्यार से रहने लगते हैं और निरहू के घर वाले फिर से गांव के रीति रिवाज से निरहू और सोना की शादी करवाते हैं शादी के बाद वह दोनों अपने परिवार के साथ रहने लगते हैं. और फिर यहीं पर खत्म हो जाती है
इस फिल्म से या सीख मिलती है कि किस तरह कोई अनजान व्यक्ति अगर किसी अनजान शहर में जाता है तो वह किस तरह से हादसे का शिकार हो जाता है और उसकी पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाती है और इस कहानी से यह भी सीख मिलती है कि यदि कोई इंसान एक माहौल से किसी दूसरे माहौल में जाता है तो उसे रहने में कितनी कठिनाइयां आती हैं लेकिन यदि वह चाहे तो इन कठिनाइयों को पार करके दूसरे माहौल के रीति रिवाज समझकर उस माहौल में अपना जीवन अच्छे से व्यतीत कर सकता है और इस कहानी से हमें यह भी देखना चाहिए कि एक शहर के लोगों की इंसानियत और एक गांव के लोगों की इंसानियत में कितना बड़ा अंतर होता है शहर के लोग अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं लेकिन गांव के लोग हमेशा एक दूसरे से प्यार के लिए जीते हैं और प्यार के लिए ही मरते हैं.
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